डॉ. हंसा दीप
टोरंटो, कैनेडा
हिन्दी में पीएच.डी., यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में लेक्चरार के पद पर कार्यरत। पूर्व में यॉर्क यूनिवर्सिटी, टोरंटो में हिन्दी कोर्स डायरेक्टर एवं भारतीय विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक।
दो उपन्यास “कुबेर”, व “बंद मुट्ठी”, तीन कहानी संग्रह “चश्मे...More
डॉ. हंसा दीप
टोरंटो, कैनेडा
हिन्दी में पीएच.डी., यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में लेक्चरार के पद पर कार्यरत। पूर्व में यॉर्क यूनिवर्सिटी, टोरंटो में हिन्दी कोर्स डायरेक्टर एवं भारतीय विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक।
दो उपन्यास “कुबेर”, व “बंद मुट्ठी”, तीन कहानी संग्रह “चश्मे अपने-अपने”, “प्रवास में आसपास” व “शत प्रतिशत” प्रकाशित। उपन्यास बंद मुट्ठी गुजराती में अनूदित, कई कहानियाँ पंजाबी, मराठी व अंग्रेजी में अनूदित। साझा संकलन “बारह चर्चित कहानियाँ”। कई प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन।
Book Summary
परी आठ साल की है। उसे बड़े होने का बहुत शौक है। वह जल्दी बड़ी होना चाहती है। अभी–अभी उसके दूध के दाँत टूटे हैं जिन्हें एक छोटी-सी डिब्बी में सम्हाल कर रखा है उसने। छोटे-छोटे उभरते वयस्क दाँतों को दिखाते हुए वह अपने आपको बड़े लोगों में शामिल करने लगी है। वह रोज़ स्कूल के बाद कई ऐसे काम करना चाहती है जो उसे बड़ा बना दें। वही करना चाहती है जो वह देखती है और जो काम करना उसे पसंद है।