कर लो दुनिया मुट्ठी में!

कर लो दुनिया मुट्ठी में!


विनोद पाराशर विनोद पाराशर

Summary

मोबाइल ने जहाँ हमें सुविधा दी है,वहीं इसके लिए हमने बहुत कुछ खोया भी है।
Poem
ऋचा दीपक कर्पे - (17 January 2021) 5
वाह ...!!

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DHARMENDRA KUMAR - (05 September 2020) 5
सच में बहुत दूर हो गए है हम अपनो के साथ साथ अपने आप से भी

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dr.sonil Sumit misra - (03 September 2020) 5
यही आभासी दुनिया है। यही सच्चाई है आने वाले भविष्य की भी।

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Saroj Sharma - (30 August 2020) 5
sahi mai is mobile ne sambandho me duri la di hai.

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1.जन्मतिथि:01-07-1961 2.जन्म स्थान: गाँव-सिंगौली, जिला-मेरठ(उत्तर प्रदेश) वर्तमान में ,दिल्लीमें ही स्थायी निवास 3.एम.ए.(हिंदी) 4.साहित्यिक उपलब्धियां (i) वर्ष-1981 में प्रकाशित'क्षितिज के उस पार' ग़ज़ल-संग्रह का सहयोगी ग़ज़लकार। (ii) वर्ष-1991में,हिंदी अकादमी:दिल्ली के आर्थिक-सहयोग से'नया घर' कविता...More

Publish Date : 29 Aug 2020

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