નાની ઉંમરે શબ્દોની સોબત વળગી... સંવેદનાઓ કાગળ પર અવતરતી રહી..
ક્યારેક દર્દ.. ખુશી..પ્રણય.. . ભયનાં સ્વણરૂપ વાર્તા ગઝલો, અને નવલકથા બની ગયાં... પાટણ યુનિથી સંસ્કૃત સાથે બી.એ કરતાં કરતાં સંસ્કૃતના શૃગારિક સાહિત્યએ લેખનની ભૂખ ભડકાવી.
ઉ.ગુજરાતના રખેવાળમાં વાર્તા નવલકથા વિસ્તરી, કિસ્મત અભિષેક, સ્ત્રીજીવન,ફૂરસદ જેવાં સામયિકોમાં શબ્દોની ફોરમ વાર્તા બની પ્રસરી.. શબ્દનો આત્માથી તંતુ તૂટ્યો નહોતો. ફરી ઓનલાઈન પોર્ટલ પર
સર્જનયાત્રા આરંભાઈ છે.. અને લીંક આત્મિક છે.. સોબત અતૂટ રહેશે...
સાબીરખાન પઠાન 'પ્રીત' રામપુરા પેટ્રોલપંપ સુરત.. મો. 9870063267
Email.sabirkhanp646@gmail.com
Book Summary
जब छोटे थे तब कामरूदेश की एक कहानी सुनी थी कि कामरुदेश की जादूगरनीयाँ काफी खतरनाक होती है। उनके पास ऐसी काली विद्याएं होती है कि वो गिद्द का रूप लेकर पुरुषों की खोज में निकल जाती थी। और फिर उन्हें कैद करके कामरुदेश ले जाती थी। जहाँ से निकलना उनके लिए नामुमकिन होता है। जिंदगी भर वहां चक्की पीसना और उस जादूगरनीयों के संग जिंदगी बसर करने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं रहता। सोचा ऐसी ही एक डायन की कहानी लिखी जाये जो आम कहानियों से बिलकुल हटके हो और हकीकत लगे। तब जन्म लिया नरबली ने।
नरबलि----- वैसे एक डायन की कहानी है। एक ऐसी डायन जो एक कबीले की महारानी बन बैठी है। कबीले की एक एक महिला के शरीर में प्रवेश करने का मादा रखती है। जब कोई महिला गर्भवती होती है तो वह समयकाल डायन के लिए भोग्ययोग होता था। ऐसी महिलाओं के शरीर में रहकर परिवार से सब कुछ मांग कर वह खाया करती है आखिरकार अधूरे कच्चे गर्भ को फिर चाव से हजम कर लेती है। कबीले में बरसों से किसी को औलाद पैदा नहीं हुई डायन अभिशाप बन कर उन पर छाई हुई है। डायन कबीले की महिलाएं और लड़कियों का उपयोग शिकार को हड़पने के लिए करती है मगर कैसे यह जानने के लिए आप 'नरबलि दी मिस्ट्री ओफ कामरुलेन्ड पढ़ना न भूले।