बहुत खूब एहसास पिरोता ,
कही किलोमीटर के फासले मिटाता,
बीन चेहरे , बीन मन के,
सिर्फ बातो से ही प्यार हो जाता।
जागती है प्रेम की धार भी,
जगते है मोती एहसासों के,
खिलते है फुल भावनाओं के,
फिर तो टपक पड़ते है आंसू स्टेट्स से ही।
हर दो मिनट में स्टेट्स चेक करना,
ऑनलाइन होने पर भी जवाब ना देना,
एक अजीब सी जलन का अहसास करवाना,
पल में ऑफ लाइन हो जाना।
मिलने के वादे हर रोज करना,
फिर मिल नही पाना,
बस वक्त बातो में ही काटते रह जाना,
फिर किसी का इंतजार करना।
किसी और की रिक्वेस्ट पर ,
फिर किसी और को चाहना,
एक के साथ कहियो से बात करना,
गजब है भाई डिजिटल प्यार भी।
कभी कभी तो लगता है,
यह प्यार ही नही,
सिर्फ एक छलावा मात्र है जो,
आता है छलकर चला जाता है।
भावनाए खंडित है,
आंसू चल के छलकते है,
धोखे से भरा प्यार है,
यह तो भाई डिजिटल वाला प्यार है।
भरत (राज)