"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
संक्षेप में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि, 'जिसने ईर्ष्या, द्वेष और घमंड को अपने यहां ठहरने का स्थान दिया उसने अपने प्रगति के सारे मार्ग बंद कर लिए और अपने लिए केवल एक द्वार खोल दिया और वह है 'पतन' का द्वार ! ऐसे में हमसे यह आशा की जाती है कि हम न सिर्फ इन तीनों के चंगुल में फंसने से बचेंगे अपितु दूसरों को भी इनके चंगुल में फंसने नहीं देंगे, कारण हमें एक बेहतर समाज़ का निर्माण करना है जहां 'मैं अच्छा हूं' का नारा बुलंद होने के बजाय 'हम सब अच्छे हैं' का नारा बुलंद होगा !