विजयादशमी
नमस्ते मित्रो,
नौ दिन महिषासुर से युद्ध करने के बाद दसवे दिन दुर्गा माता ने शेर पर सवार होकर अस्त्र शस्त्र लेकर महिषासुर का संहार कर विजय प्राप्त की अतः इस दिन को विजयादशमी के रूप मे मनाया जाता है। इसी दिन अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी तिथि के दिन दशरथनंदन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस दिन को विजयादशमी या दशहरा कहा जाता है। रावण महर्षि विश्रव व कैकसी का पुत्र था। कैकसी राक्षस राज सुमाली की पुत्री थी। रावण को तंत्र, मंत्र, ज्योतिष आदि अनेक गूढ विषयो की जानकारी थी। प्रभु श्रीराम का उद्देश्य रावण का वध करना नहीं बल्कि रावण के अहंकार रूपी राक्षस का अंत कर माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराना था। इसे असत्य पर सत्य की जीत के पर्व के रूप मे मनाया जाता है। यह दिन तीन शुभ मुहूर्तो मे से एक है। बाकी दो गुड़ीपड़वा और दिवाली का पड़वा है। यह पर्व दस प्रकार के पापो काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की प्रेरणा देता है। इस दिन शस्त्र पूजन, शमी पूजन व वाहनो का पूजन भी किया जाता है। शमी पत्र को सोने के रूप मे मानकर बांटते है व अपने से बड़े लोगो को देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार अर्जुन ने अज्ञातवास के दौरान अपने शस्त्र शमी वृक्ष के ऊपर ही छुपाए थे इसलिए इस दिन शमी वृक्ष की पुजा की जाती है। एक कथा के अनुसार महर्षि वर्तन्तु ने अपने शिष्य कौत्स से गुरुदक्षिणा के रूप मे स्वर्ण मुद्राए मांगी। कौत्स मुद्राओ के लिए राजा रघु के पास गए पर राजा का खजाना खाली होने के कारण राजा ने उनसे तीन दिन का समय मांगा। राजा रघु ने कुबेर जी से सहायता मांगी पर उन्होने मना कर दिया। तब राजा रघु ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण का विचार किया इससे इंद्र देव घबरा गए तथा उन्होने कुबेर जी को राजा रघु की मदद करने को कहा। इंद्र देव के आदेश पर कुबेर जी ने राजा रघु के यहा स्थित शमी वृक्ष के पत्तों को स्वर्ण मे बदल दिया। अतः उस दिन से दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पुजा की जाती है तथा शमी वृक्ष के पत्तों को स्वर्ण मानकर बाटा जाता है। हर प्रांत का इस पर्व को मनाने का अपना तरीका है। कही दशहरे का मेला भी लगता है। सीमावलंघन कर रावण के पुतले का दहन किया जाता है।
राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के सदस्य इस दिन को स्थापना दिवस के रूप मे मनाते है। सभी अपनी गणवेश मे दंड लेकर प्रार्थना व ध्वज प्रणाम कर शस्त्र पूजन कर एक साथ कदम ताल करते हुए पथ संचलन करते है। जगह जगह इस पथ संचलन का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया जाता है।
।। जब सत्य हो प्रकाशमान, तब अंधकार पर लगे विराम, जय श्री राम, जय जय श्री राम ।।
अच्छा मित्रो अगले हफ्ते फिर मिलेंगे किसी नए विषय के साथ। जय श्री राम।
स्वस्थ रहिए, मस्त रहिये, मुसकुराते रहिए। धन्यवाद।
- जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा।