दीपोत्सव
नमस्ते मित्रो,
कार्तिक अमावस को दिवाली मनाते है। दिवाली भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह कौटुंबिक रिश्ते नाते मजबूत करने का त्योहार है। यह त्योहार सभी बच्चो, बड़ो, बूढ़ों के मन मे खुशिया, उत्साह व आनंद भर देता है। इस त्योहार के आने से पहले ही घर के सभी सदस्य मिलकर साफ सफाई करते है। घर की महिलाए मिलकर विभिन्न पकवान, व्यंजन, नाश्ते बनाती है। नए कपड़े खरीदे जाते है। घर की पुताई की जाती है। घर की सजावट का सामान खरीदा जाता है। दिवाली पर जलाने के लिए दिये व पटाखे खरीदे जाते है। दिवाली पाँच दिन का उत्सव होता है। वैसे ग्यारस से ही इसकी शुरुआत हो जाती है। महिलाए घरो के सामने रंगोली बनाती है। इसके बाद आता है बसुबारस इस दिन गाय व बछड़े की पुजा की जाती है। महिलाए इस दिन व्रत करती है व केवल हाथ से बोई हुई चीजे ही खाती है।
इसके बाद आता है धनतेरस, इस दिन धन के देवता कुबेर की पुजा की जाती है। इस दिन व्यापारी लोग खाता बही, कलम, पेन इत्यादि दुकान उपयोगी वस्तुए खरीदते है। लोग वाहन, बर्तन, इलैक्ट्रिक सामान घरेलू सामान, सोना चाँदी या आभूषण भी खरीदते है व उसकी पुजा करते है। इस दिन धन्वन्तरी देवता जो औषधि व वनस्पति, जड़ी बूटी के देवता है, उनकी पुजा की जाती है। अगले दिन नरक चतुर्दशी का होता है धार्मिक मान्यताओ के अनुसार नरकासूर नामक राक्षस ने हजारो स्त्रियो को कैद कर लिया था तब भगवान श्रीक़ृष्ण व सत्यभामा ने उस राक्षस का संहार कर उन स्त्रियो को मुक्त कराया था। अतः नरक चतुर्दशी के दिन सुर्योंदय के पहले स्नान किया जाता है।
इसके बाद आता है लक्ष्मी पूजन, इस दिन घर को फूल मालाओ से सजाकर शाम के समय शुभ मुहूर्त मे माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व गणेश जी की पुजा की जाती है। फल, पेड़े, धानी, खीर इत्यादि का भोग लगाया जाता है। हल्दी, कुमकुम, फूल, खड़े धने से माँ की पुजा की जाती है। घर घर मे दिये जलाए जाते है, पटाखे फोड़े जाते है। सारा जग दिवाली के दियो से जगमगाता है, हर और पटाखो की गूंज होती है। इसके बाद आता है पड़वा, जिसे अन्नकूट भी कहते है। इस दिन लोग अपने परिचितों के यहा जाकर बधाई देते है व नाश्ते तथा मिठाई का आदान प्रदान करते है। मान्यताओ के अनुसार इस दिन विष्णु जी ने वामन अवतार लेकर राजा बली से तीन पग धरती का दान मांगा। राजा के दान का संकल्प करने के बाद वामन अवतार धारण किए विष्णु जी ने अपना रूप विराट कर दो पग मे सारा विश्व माप लिया व राजा से पूछा की अब तीसरा पग कहा रखू तो राजा बली ने अपना मस्तक आगे कर दिया, भगवान ने उसके मस्तक पर पैर रखकर उसे पाताल लोक पहुचा दिया। इसलिए इस दिन को बली प्रतिपदा भी कहते है। यह दिन तीन शुभ मुहूर्तो मे से एक है।
अब आता है भाई दूज, भाई बहन के बीच दृढ़ संबद्ध बनाने का त्योहार धार्मिक कथाओ के अनुसार यम देवता को अपनी बहन की याद आ रही थी, तब उन्होने अपने दूतो को बहन को बुलाने पहुचाया, पर वह नहीं मिली, तो यम स्वयं ही बहन से मिलने गए। भाई यम को देखकर यमुना को बहुत आनंद हुआ। उसने भाई का आदर सत्कार किया उन्हे भोजन कराया, तब यम देवता ने खुश होकर बहन से वर मांगने को कहा, तब यमुना ने कहा की भाई दूज के दिन जो भाई अपनी बहन के यहा भोजन करेगा उसका आदर आतिथ्य स्वीकार करेगा उसे यम लोक नहीं जाना पड़ेगा वह सीधे स्वर्ग लोक मे जाएगा। अतः इस दिन सभी बहने अपने भाइयो को घर बुलाकर भोजन कराती है। इस प्रकार भाई दूज के साथ ही इस दिवाली पर्व का समापन होता है। ये दिवाली सभी के लिए सुखमय, मंगलमय, आनंदमय व आरोग्यमय हो ऐसी सदिच्छा।
अच्छा मित्रो अगले हफ्ते फिर मिलेंगे किसी नए विषय के साथ। जय लक्ष्मी माता।
स्वस्थ रहिए, मस्त रहिये, मुसकुराते रहिए। धन्यवाद।
- जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा।