ग्रहण
नमस्ते मित्रो,
ग्रहण एक खगोलीय घटना है। यह तब होती है, जब कोई खगोलीय पिण्ड अस्थायी रूप से किसी अन्य पिण्ड की छाया मे आ जाता है। ग्रहण पूर्ण भी होता है और आंशिक भी। ग्रहण दो प्रकार के होते है सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण। जब चंद्रमा की छाया पृथ्वी की सतह को पार करती है तो सूर्यग्रहण तथा जब चंद्रमा, पृथ्वी की छाया मे चला जाता है तो चंद्रग्रहण।
वैज्ञानिको के मुताबिक पृथ्वी के चारो ओर एक चक्कर लगाने मे चंद्रमा को 27 दिन लगते है। चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा, सूर्य व पृथ्वी के बीच मे आ जाता है। तब सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुच पाती, इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते है। खगोलशास्त्री के अनुसार जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच मे आ जाती है तो चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है ऐसे मे चंद्रमा दिखाई नहीं देता, इस स्थिति को चंद्रग्रहण कहते है।
ग्रहण का हमारी राशियो पर भी शुभ अशुभ फल होता है। जिन राशियो को अशुभ फल होता है उन्हे ग्रहण नहीं देखना चाहिए। जिन्हे ग्रहण देखना हो उन्होने भी विशेष प्रकार का चश्मा लगाकर ही ग्रहण देखना चाहिए, जिससे आंखो पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। ग्रहण लगने के पहले उसका सूतक या वेध लग जाता है। इस समय मंदिरो के पट बंद हो जाते है। इस समय मे भोजन बनाना या खाना व कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। बच्चो, वृद्धजनों, रोगियो, असहाय लोगो व गर्भवती महिलाओ को थोड़ी छुट होती है। परंतु ग्रहण स्पर्श काल से लेकर मोक्ष काल तक किसी को भी कुछ भी खाना नहीं चाहिए। ईश्वर का नाम जाप, तप, साधना इत्यादि कर सकते है। ग्रहण मोक्ष के बाद नहाना तथा पुजा पाठ, दान, पुण्य आदि करना चाहिए। घर मे गंगाजल छिड़कना चाहिए जिससे घर की शुद्धि होती है।
25 अक्टुंबर को साल 2022 का आखिरी व सबसे लंबा सूर्यग्रहण था और अब 8 नवम्बर 2022 को साल का आखिरी चंद्रग्रहण होगा।
अच्छा मित्रो अगले हफ्ते फिर मिलेंगे किसी नए विषय के साथ। जय चन्द्र सूर्य देवता।
स्वस्थ रहिए, मस्त रहिये, मुसकुराते रहिए। धन्यवाद।
- जयश्री गोविंद बेलापुरकर, हरदा।