• 07 March 2023

    एस्ट्रोलॉजी astrology jyotish ज्योतिष

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    ज्योतिष अथाह सागर है जिसकी गहराई माप पाना असम्भव है हर कुंडली ज्योतिष के विद्यार्थी के सम्मुख नए प्रश्नों को रख देती है, कुछ दिन एक पहले ज्योतिष में रुचि रखने वाले एक व्यक्ति ने मुझसे ज्योतिष के संबंध में कुछ सवाल किए उनका पहला सवाल था कि वह ज्योति सीखना चाहते हैं उन्हें कुछ ऑनलाइन कोर्स और किताबों के विषय में जानना था, मैंने उन्हें कहा की आप फलित सूत्र, ज्योतिष तत्वांग और आप और आपकी राशि नामक किताबों का अध्ययन करें उसके बाद सबसे पहले अपनी कुंडली का (कुछ ज्योतिषि कहते हैं अपनी कुंडली नहीं देखनी चाहिए लेकिन मैं इससे रत्ती भर भी इत्तेफाक नहीं रखता) अपने परिजनों की कुंडली का, रिश्तेदारों की एवं मित्रों की कुंडली का अध्ययन करें क्योंकि ये वही लोग हैं जिनके बारे में आप काफी बातें पहले से जानते हैं, अपनी कुंडली एक ज्योतिष के विद्यार्थी को इसलिए देखनी चाहिए क्योंकि बाहर से वो कैसा भी बन जाए उसे मालूम होता है की वो भीतर से कैसा है।

    इसके बाद मैंने उन्हें ज्योतिष के ऑनलाइन कोर्स ना करने की सलाह दी। क्योंकि अगर रत्न के बाद कहीं सबसे ज्यादा लूट है तो वहीं है इस समय मेरी जानकारी के अनुसार तीस हजार से लेकर डेढ़ लाख के कोर्स चल रहे हैं, यकीन मानिए इससे बेहतर तो ये होगा की आप ज्योतिष की अपनी लाइब्रेरी बना लें और हर दिन दो से तीन कुंडलियां देखें एक साल में आप पायेंगे की आप काफी कुछ सीख गए हैं।

    फिर भी अगर आपको कोर्स करना ही है तो भारतीय विद्या भवन, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय या किसी मान्यता प्राप्त सरकारी कॉलेज से करें ताकि भविष्य में आप उसके प्रमाण पत्र को उसके डिप्लोमा, डिग्री को दिखा तो सकें। यकीन मानिए सरकारी कॉलेज में शिक्षक काफी अच्छे काफी अनुभवी होते हैं उनमें से ज्यादातर पढ़ाते नहीं हैं ये अलग बात हैं।

    ख़ैर इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने वो किताबें खरीद ली हैं और वह अपने परिवार में कुंडलियां देखना शुरू कर दिया है, उन्होंने सवाल किया कि हाल ही में एक परिवार में एक व्यक्ति की कुंडली देखी और उस कुंडली में उन्होंने पाया कि उसका चतुर्थ भाव बहुत अच्छा था चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी थी लेकिन उसकी माता का स्वर्गवास हो गया तो ऐसा क्यों हुआ होगा? मैंने उनसे पूछा की क्या वह व्यक्ति अपने परिवार में छोटा है उससे बड़े भाई बहन हैं? तो उन्होंने लगभग चौंकते हुए कहा "जी जी बिल्कुल ऐसा ही है"

    मैंने उन्हें कहा कि जब भी आप किसी व्यक्ति की कुंडली देखें तो हर पक्ष पर गौर करें जैसे इस मामले में माता के निधन का सबसे ज्यादा प्रभाव किस पर पड़ेगा (शायद बड़े भाई बहनों पर) आपको ये भी देखना चाहिए, कई बार किसी बच्चे के माता-पिता का निधन हो जाता है वो इतना छोटा होता है की उसे इस बारे में कुछ पता ही नहीं लग पाता या उसे इसका ज्ञान ही नहीं होता की उसके साथ क्या हादसा हो गया है, लेकिन समाज की तरफ से उसे दूसरे बच्चों के मुकाबले ज्यादा प्रेम/सहानुभूति मिलने लगती है उसके कोई शिक्षक या परिवार का ही कोई व्यक्ति उसे "पिता तुल्य" स्नेह देता है कोई महिला माता के समान वात्सलय देती है तो एक तरह से आपके देखेंगे की उसके जीवन में माता-पिता तो नहीं है लेकिन "पिता तुल्य" व्यक्ति और माता के समान महिला जरूर हैं।

    द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के जीवन को अगर आप देखेंगे तो वह इसका सर्वोत्तम उदाहरण हैं जेल में जन्म लेने के बाद भी उन्हें यशोदा सी माता, नंद बाबा से पिता, ग्वालों से मित्र आदि प्राप्त हुए।

    इस बात को थोड़ा और समझने के लिए हम रामायण का एक प्रसंग लेते हैं जैसा की सभी जानते हैं राजा दशरथ के चार पुत्र थे चारों ही पुत्र राजा को प्रिय थे, किंतु मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम राजा दशरथ को अधिक प्रिय थे और जब कैकेई को दिए वचन के कारण उन्हें प्रभु श्रीराम को वनवास देना पड़ा तो अत्यधिक प्रेम होने के कारण वो मूर्छित हो गए और पुत्र वियोग में उन्होंने प्राण त्याग दिए मुमकिन है अगर राजा दशरथ प्रभु श्रीराम से उतना प्रेम नहीं करते या प्रभु श्रीराम की जगह कोई और वन जाता तो राजा दशरथ की वो स्थिति ना होती।

    जब भी कोई हरा वृक्ष देखें तो ये देखने की कोशिश करें की उसकी जड़ें कितनी गहरी हैं वो उसे पानी कहां से प्राप्त हो रहा है, ठीक इसी तरह जब कोई मुरझाया हुआ या सूखा वृक्ष दिखाई पड़े तो उसका भी कारण जानने की कोशिश करें कई बार सिर्फ जगह बदलने पर भी मुरझाया वृक्ष फिर से हरा हो सकता है।



    Vipul Joshi


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