• 14 May 2023

    कविता

    माँ

    5 85

    माँ


    माँ मुझे तुझ सा है बनना!
    तू है सारे परिवार का गहना!!

    तू है हर पल, परिवार के लिए जीती!
    कोई नहीं सोचता, तुझ पर क्या बीती!!

    सुबह उठकर, दरवाजा खोलने से!
    रात की बत्ती बुझाने तक जागने से!!

    ना थकती हो, ना रुकती हो!
    अनवरत चलती रहती हो!!

    एकदिन के लिए यदि तुम पड़ जाती बीमार!
    घर पर मच जाता है, चारों ओर हाहाकार!!

    तुम ही घर को हर पल सजाती और सम्हालती हो!
    बिगड़े हुए काम भी अपनी बुद्धिमता से बना डालती हो!!

    माँ तेरे चरणों में हमारा, नमन, वंदन, अभिनंदन!
    काश हम भी कर पाते, तेरा थोड़ा भी अनुसरण!!

    सभी माँओं को समर्पित ...


    स्वरचित
    ©अनिला द्विवेदी तिवारी




    Anila Tiwari


Your Rating
blank-star-rating
रश्मि त्रिवेदी - (17 May 2023) 5
बहुत सुंदर कविता दीदी।

0 1

आस्था सिंघल - (14 May 2023) 5
माँ को शत् शत् नमन 🙏 खूबसूरत कविता 👍

0 1

Yuvraj Dwivedi - (14 May 2023) 5
sundar Kavita

0 1