ज्योतिष से परे जीवन
जब भी कोई व्यक्ति कुंडली दिखाने आता है या किसी से ज्योतिष संबंधी चर्चा होती है तो उसे मैं हमेशा कहता हूं कि ज्योतिष पर आप शत प्रतिशत यकीन रखिए क्योंकि ज्योतिष विज्ञान है, लेकिन ज्योतिषी पर या उसकी बात पर आप आंख मूंद कर भरोसा मत कीजिए फिर चाहे कोई बात मेरे द्वारा ही क्यों ना कही गई हो।
कई बार ज्योतिषी के कहे फलादेश सही हो जाते हैं लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है की उसकी कही बात अंतिम हो या पत्थर की लकीर ही हो, जब भी मैं इस विषय के बारे में सोचता हूं तो कुछ घटनाएं अक्सर मेरे जहन में आती हैं एक बार मैं और मेरी ताई का लड़का एक ज्योतिषी के पास कुंडली दिखाने गए थे, मेरे भाई ने उनसे सवाल किया कि मैंने बीएड किया है क्या मेरी कुंडली में सरकारी नौकरी का योग है वह ज्योतिषी ने कहा कि बेटा सरकारी नौकरी का तो ऐसा है कि मेरी बेटी ने भी बीएड और एमएड किया है उसकी खुद नहीं लग पा रही, फिर उन्होंने एक मंत्री का नाम लेते हुए कहा कि मैंने उनसे सिफारिश भी की थी लेकिन फिर भी बात नहीं बन पाई विभाग के आधिकारी ने अपने रिश्तेदार की लगा दी।
एक दूसरी घटना है जो मुझे याद आती है उसमें मैं और एक मेरे जानने वाले एक ज्योतिषी के पास गए थे, कुंडली देखकर वह भूतकाल में घटी घटनाओं और उस घटना के वक्त मौजूद व्यक्तियों के नाम तक बता दिया करते थे, कुछ समय बाद मैंने देखा कि एक लगभग पैंतीस से चालीस वर्ष की स्त्री पानी लेकर अंदर आई उनकी उंगलियों ने तीन से चार रत्न से थे जिनकी वेशभूषा से ऐसा लग रहा था की उनकी शादी नहीं हुई थी मुमकिन है वो उनकी बेटी रही होगी।
एक और प्रख्यात ज्योतिषी से मेरी मुलाकात हुई हो बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे, उनकी बेटी करियर बनाने को लेकर संघर्षरत थी और सैटल होने से पहले उनकी बेटी शादी नहीं करना चाहती थी, बेटी की बढ़ती उम्र और शादी की वजह से इतना परेशान थे की बातों ही बातों में उन्होंने मुझसे कहा कि बेटी ने गलत करियर ऑप्शन चुन लिया।
लगभग एक दशक पहले एक विवाह कार्यक्रम में शहर के जाने-माने एक ज्योतिषी से मुलाकात हुई जब उन्हें जब पता चला कि मैं मैं भी ज्योतिष का अध्ययन कर रहा हूं, तो उन्होंने मुझसे अपनी कुंडली के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि अभी हाल में मेरे दो ऑपरेशन हुए हैं, इसकी क्या वजह रही होगी और इसका निराकरण कैसे हो सकता है मैं अपने ऑपरेशन से बहुत ज्यादा परेशान हूं।
हरिद्वार के एक मित्र के जरिए एक हस्तरेखा शास्त्री से बातचीत हुई हस्तरेखा को लेकर उनका ज्ञान काफी अच्छा था, उन्होंने मुझे हस्तरेखा से जुड़े हुए कुछ बातें भी बताई। इसके बाद फिर उनसे बात नहीं हुई लगभग पांच छः महीने के बाद जब मैंने एक दिन उन्हें फोन किया तो किसी महिला ने फोन उठाया, मैंने उनसे कहा कि सर से बात हो सकती है उन्होंने कहा कि भैया आपको यह पता नहीं है क्या कि सर को गुजरे हुए महीने हो गए……
हमारे परिवार में एक महिला थीं वो कई बार अपने भविष्य को लेकर सवाल किया करती थीं, उनके हाथों की रेखाओं को देखकर मैंने उन्हें कहा था की आपका बुढ़ापा काफी अच्छा और सुखद है, हृदय रेखा अगर बृहस्पति पर्वत की ओर जाते वक्त दो शाखें बनाए तो ऐसा कहा जाता और लगभग हर किताब में ऐसा ही फलादेश लिखा हुआ है। उनकी जीवन रेखा भी काफी सही थी उसमें कोई क्रॉस का या कोई अन्य अशुभ निशान नहीं था लेकिन एक दिन उनकी चिता मेरी आंखों के सामने जल रही थी और मैं अपनी कही बातों को सोचता रहा और नम आंखों से घंटों तक उस चिता जलते हुए देखता रहा।