"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
मित्रों ! एक सैनिक के जीवन में ट्रेन का सफ़र कुछ -२ ऐसे होता है जैसे कोई आम इंसान अपने ससुराल के लिए प्रस्थान कर रहा होता है जब उसे इस बात की पूरी जानकारी होती है कि जाना तो पड़ेगा ही ! ठीक ऐसी ही स्थिति एक फौजी की होती हैं जब वह अपनी जिंदगी जी रहा होता है ! कभी बिन बुलाए मेहमान की तरह उसे कहीं जाना पड़ता है तो कहीं मेहमाननवाजी करवाना के लिए, लेकिन दोनों ही सूरतों में उसका जाना तय रहता है !